टाइफाइड में क्या खाएं और क्या न खाएं – सम्पूर्ण डाइट गाइड
टाइफाइड एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो Salmonella Typhi के कारण होता है। इस बीमारी में आंतें कमजोर हो जाती हैं, इसलिए भोजन हल्का, आसानी से पचने वाला और पौष्टिक होना चाहिए। टाइफाइड के दौरान रोगी को तरल और नरम आहार देना सबसे अच्छा होता है।
क्या खाएं :
रोगी को खिचड़ी, दलिया, दाल का पानी, सब्ज़ियों का सूप, ओट्स, उबले आलू, और उबली सब्ज़ियाँ जैसे लौकी, तोरी, गाजर देना चाहिए। फलों में केला, सेब, पपीता और अमरूद (बिना बीज वाला) फायदेमंद हैं। नारियल पानी, नींबू पानी (बिना खट्टा स्वाद), और ताजे फलों का रस शरीर को ऊर्जा देते हैं और डिहाइड्रेशन से बचाते हैं। हल्का गुनगुना पानी पीना चाहिए ताकि संक्रमण न बढ़े।
क्या न खाएं :
तले-भुने, मसालेदार और भारी भोजन जैसे पराठा, चाट, पकोड़ी, जंक फूड, मिठाइयाँ और कोल्ड ड्रिंक से पूरी तरह परहेज़ करें। बहुत ठंडा पानी, दूध से बने भारी व्यंजन और अधिक फाइबर वाले खाद्य पदार्थ भी नहीं लेने चाहिए।
टाइफाइड में आराम, साफ-सफाई और संतुलित आहार बहुत जरूरी है। सही खानपान से रोगी जल्दी ठीक हो सकता है और कमजोरी भी कम होती है।
टाइफाइड में सही डाइट लेने के लिए क्या खाएं ?

टाइफाइड एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है, जिसमें रोगी का पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। इस समय हल्का और पचने में आसान भोजन लेना ज़रूरी होता है। रोगी को तरल पदार्थ जैसे दाल का पानी, सब्ज़ियों का सूप, नारियल पानी और पतली खिचड़ी खिलानी चाहिए। इनसे शरीर को ऊर्जा और पोषण दोनों मिलते हैं। मसालेदार, तैलीय और भारी भोजन से बचना चाहिए क्योंकि यह आंतों पर दबाव डालता है। छोटे-छोटे अंतराल पर भोजन देना उचित है। उदाहरण के लिए, सुबह हल्का दलिया, दोपहर में दाल-चावल की खिचड़ी और शाम को सब्ज़ियों का सूप दिया जा सकता है। सही आहार लेने से रोगी जल्दी ठीक होता है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।
टाइफाइड में दूध पी सकते हैं क्या ?

टाइफाइड में दूध पीना सुरक्षित है लेकिन इसे सीमित मात्रा में और पतला करके लेना चाहिए। दूध में प्रोटीन और कैल्शियम होता है, जो शरीर की रिकवरी में मदद करता है। हालांकि, यदि रोगी को दूध पचाने में कठिनाई हो रही हो या दस्त की समस्या हो, तो दूध से बचना चाहिए। ऐसे में दही का सेवन बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों को स्वस्थ बनाते हैं। दूध को सीधे पीने की बजाय उससे बनी खिचड़ी या दलिया लेना अधिक लाभकारी है। उदाहरण के लिए, रोगी को हल्की मीठी दलिया या दूध में उबला हुआ ओट्स दिया जा सकता है। ध्यान रहे, बहुत ठंडा या बहुत गरम दूध न दें क्योंकि इससे पाचन प्रभावित हो सकता है।
टाइफाइड में मीठी चीज़ खा सकते हैं क्या ?

टाइफाइड के दौरान मीठी चीज़ों का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। हल्की-फुल्की मिठास जैसे – फल (केला, पपीता, सेब), शहद, खजूर या हल्का दलिया शरीर को ऊर्जा देते हैं और पचने में भी आसान होते हैं। लेकिन बाज़ार की मिठाइयाँ, चॉकलेट, केक-पेस्ट्री या बहुत अधिक चीनी से बनी चीज़ें नहीं खानी चाहिए, क्योंकि ये पाचन को बिगाड़ सकती हैं और संक्रमण बढ़ा सकती हैं। टाइफाइड में आंतें कमजोर हो जाती हैं, इसलिए मीठी चीज़ें प्राकृतिक रूप में लेना बेहतर है। उदाहरण के लिए, रोगी को सुबह हल्का दलिया जिसमें थोड़ी सी शक्कर या शहद डाला गया हो दिया जा सकता है। इस तरह मीठी चीज़ शरीर को तुरंत ऊर्जा भी देती है और कमजोरी भी दूर करती है। लेकिन ध्यान रखें कि मीठी चीज़ का सेवन कम मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।
टाइफाइड में कौन से फल खाने चाहिए ?

टाइफाइड के दौरान फल रोगी के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये विटामिन, मिनरल और पानी की कमी को पूरा करते हैं। ऐसे फल खाने चाहिए जो आसानी से पच सकें और शरीर को ऊर्जा दें। उदाहरण के लिए – केला, सेब, पपीता, अमरूद (बिना बीज वाला), तरबूज और अंगूर अच्छे विकल्प हैं। ये फल रोगी की पाचन शक्ति को कमजोर नहीं करते और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। नारंगी और मौसमी जैसे खट्टे फल से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि ये आंतों में जलन पैदा कर सकते हैं। फल हमेशा अच्छी तरह धोकर और छोटे टुकड़ों में काटकर दें। यदि रोगी फल चबा नहीं पा रहा हो तो उसका जूस बनाकर भी दिया जा सकता है। फल खाने से शरीर में पानी और पोषण की कमी पूरी होती है और रोगी की रिकवरी तेज़ होती है।
टाइफाइड में कौन सी सब्ज़ियां खानी चाहिए ?

टाइफाइड के दौरान रोगी को हल्की और आसानी से पचने वाली सब्ज़ियाँ खानी चाहिए। उबली हुई या सूप के रूप में दी गई सब्ज़ियाँ सबसे अच्छी होती हैं। उदाहरण के लिए – गाजर, लौकी, तोरी, परवल, आलू और चुकंदर का सेवन किया जा सकता है। हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ जैसे पालक और मेथी का रस या सूप के रूप में देना लाभकारी है। मसालेदार और तली-भुनी सब्ज़ियों से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि यह पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं। रोगी को सब्ज़ियों का हल्का शोरबा या उबली हुई सब्ज़ियाँ दिन में 2-3 बार दी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, दोपहर में दाल और लौकी की खिचड़ी या गाजर का सूप देना अच्छा विकल्प है। सब्ज़ियाँ रोगी को आवश्यक पोषण, विटामिन और मिनरल देती हैं, जिससे शरीर जल्दी स्वस्थ होता है।
टाइफाइड में क्या नहीं खाना चाहिए ?

टाइफाइड के दौरान कुछ चीज़ें बिल्कुल नहीं खानी चाहिए क्योंकि ये आंतों पर दबाव डालती हैं और संक्रमण को बढ़ा सकती हैं। सबसे पहले, तैलीय और मसालेदार भोजन जैसे – पराठा, पूरी, चाट-पकौड़ी, और तीखे मसाले वाले व्यंजन नहीं खाने चाहिए। दूसरी बात, बहुत अधिक फाइबर वाले भोजन जैसे – साबुत अनाज, दालों की मोटी किस्में और कच्ची सब्ज़ियाँ से परहेज़ करना चाहिए। ताजे दूध से बने भारी व्यंजन, मिठाइयाँ और जंक फूड भी नहीं खाना चाहिए। सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक और बहुत ठंडी चीज़ें रोगी की स्थिति और बिगाड़ सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर रोगी को खिचड़ी, दलिया या सूप देने की बजाय समोसा और पकोड़ी दे दी जाए तो यह पेट में दर्द और दस्त को बढ़ा सकता है। इसलिए टाइफाइड में हल्का, उबला और आसानी से पचने वाला भोजन ही सबसे अच्छा विकल्प है।
टाइफाइड में कमजोरी दूर करने वाला आहार

टाइफाइड के बाद सबसे बड़ी समस्या कमजोरी की होती है। शरीर बहुत थका हुआ और सुस्त महसूस करता है। कमजोरी दूर करने के लिए हल्का लेकिन पौष्टिक आहार ज़रूरी है। रोगी को प्रोटीन से भरपूर दाल का पानी, पनीर, दही, और दूध से बनी खिचड़ी दी जा सकती है। कार्बोहाइड्रेट के लिए दलिया, ओट्स और चावल की खिचड़ी अच्छे विकल्प हैं। विटामिन और मिनरल्स की पूर्ति के लिए मौसमी फल जैसे केला, पपीता और सेब खिलाना लाभकारी है। नारियल पानी और ताजे फलों का रस रोगी को तुरंत ऊर्जा देते हैं। यदि रोगी बहुत कमज़ोर हो तो डॉक्टर की सलाह से ग्लूकोज़ या इलेक्ट्रोलाइट्स का घोल दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सुबह दलिया, दोपहर में दाल-चावल की खिचड़ी और शाम को सब्ज़ियों का सूप लेने से धीरे-धीरे कमजोरी दूर होती है।
टाइफाइड में गर्म पानी पीना चाहिए या ठंडा ?

टाइफाइड में हमेशा गुनगुना या उबला हुआ पानी पीना चाहिए। यह आंतों पर दबाव नहीं डालता और संक्रमण से बचाता है। ठंडा पानी, फ्रिज का पानी या बर्फ मिलाकर लिया गया पानी बिलकुल नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह पाचन को बिगाड़ सकता है और बुखार की समस्या बढ़ा सकता है। गुनगुना पानी शरीर को हाइड्रेट रखता है और बुखार में भी राहत देता है। यदि रोगी को गले में खराश या दर्द हो तो गुनगुना पानी पीने से तुरंत आराम मिलता है। उदाहरण के लिए, दिन में 2-3 लीटर उबला हुआ पानी गुनगुना करके पीना चाहिए। डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि पानी पीने से पहले उसे उबालकर छान लें ताकि किसी भी तरह के बैक्टीरिया या वायरस का खतरा न रहे। इसलिए टाइफाइड के दौरान साफ, शुद्ध और हल्का गर्म पानी पीना ही सबसे सुरक्षित और फायदेमंद है।
क्या टाइफाइड में मांसाहार खा सकते हैं ?

टाइफाइड के दौरान मांसाहार खाना उचित नहीं है। मांस और मछली जैसे खाद्य पदार्थ पचने में कठिन होते हैं और आंतों पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। इस समय रोगी का पाचन तंत्र पहले ही बहुत कमजोर होता है, इसलिए मांसाहारी भोजन लेने से पेट दर्द, दस्त और गैस की समस्या बढ़ सकती है। यदि कोई व्यक्ति नॉन-वेज खाने का आदी है और कमजोरी बहुत ज़्यादा है तो डॉक्टर की सलाह से हल्का उबला हुआ चिकन सूप या चिकन स्टू लिया जा सकता है। लेकिन मसालेदार या तैलीय रूप में मांसाहार बिलकुल नहीं खाना चाहिए। बेहतर होगा कि इस समय केवल शाकाहारी, उबला हुआ और आसानी से पचने वाला भोजन लिया जाए। उदाहरण के लिए, प्रोटीन की ज़रूरत को पूरा करने के लिए दाल, दही और पनीर अच्छे विकल्प हैं। मांसाहार पूरी तरह से तब तक टालना चाहिए जब तक रोगी पूरी तरह स्वस्थ न हो जाए।
टाइफाइड का डाइट चार्ट (उदाहरण)

टाइफाइड रोगी के लिए डाइट चार्ट सरल, पौष्टिक और पचने में आसान होना चाहिए।
सुबह (7-8 बजे): गुनगुना पानी + दलिया/ओट्स खिचड़ी
नाश्ता (10 बजे): केला या पपीता + नारियल पानी
दोपहर (1 बजे): दाल का पानी + चावल की खिचड़ी + लौकी/गाजर की सब्ज़ी
शाम (4 बजे): फल का रस (जूस) या वेजिटेबल सूप
रात (8 बजे): पतली खिचड़ी या दलिया + दही
इस दौरान भोजन कम मात्रा में और दिन में 5-6 बार देना चाहिए। तैलीय, मसालेदार और भारी भोजन से बचना ज़रूरी है। यह डाइट चार्ट शरीर को आवश्यक ऊर्जा, प्रोटीन और विटामिन प्रदान करता है और रोगी को जल्दी स्वस्थ होने में मदद करता है।
टाइफाइड में चावल खाना चाहिए या नहीं ?

टाइफाइड में चावल खाना सुरक्षित है लेकिन केवल हल्का और अच्छी तरह से पका हुआ। सबसे अच्छा विकल्प है चावल की खिचड़ी या दाल-चावल का पतला मिश्रण। यह पचने में आसान होता है और शरीर को आवश्यक कार्बोहाइड्रेट देता है। चावल को बहुत ज़्यादा मसाले और तेल डालकर नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि यह आंतों पर दबाव डाल सकता है। ब्राउन राइस जैसे भारी चावल से परहेज़ करना चाहिए, क्योंकि इनमें फाइबर अधिक होता है और यह पचने में मुश्किल होते हैं। उदाहरण के लिए, रोगी को दाल-चावल की पतली खिचड़ी में थोड़ा सा घी डालकर दिया जा सकता है। यह स्वाद बढ़ाता है और ऊर्जा भी देता है। टाइफाइड में हल्का और मुलायम चावल रोगी को ताकत देता है और कमजोरी दूर करने में मदद करता है।
टाइफाइड में रोटी खा सकते हैं क्या ?

टाइफाइड के दौरान रोटी खाने की अनुमति है लेकिन इसे नरम और हल्का बनाकर देना चाहिए। मोटी, सख़्त या बाजरे, ज्वार, मक्के जैसी मोटे अनाज की रोटी पचने में कठिन होती है, इसलिए इनसे बचना चाहिए। गेहूँ की मुलायम रोटी दाल या हल्की सब्ज़ी के साथ खाई जा सकती है। यदि रोगी को चबाने में दिक़्क़त हो या बहुत कमजोरी हो, तो रोटी की बजाय दलिया या खिचड़ी देना अधिक उचित है। उदाहरण के लिए, रोगी को दोपहर के भोजन में 1-2 नरम गेहूँ की रोटियाँ और हल्की उबली सब्ज़ी दी जा सकती है। ध्यान रखें कि तंदूरी रोटी, पराठा, पूरी या घी-तेल से बनी मोटी रोटियाँ बिल्कुल न दें। नरम रोटी रोगी को ऊर्जा देती है और धीरे-धीरे पाचन भी ठीक होने लगता है।
टाइफाइड में अंडा खाना चाहिए या नहीं ?

टाइफाइड में अंडा खाना सही है, क्योंकि यह प्रोटीन और पोषण का अच्छा स्रोत है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में और सही तरीके से पकाकर ही देना चाहिए। उबला हुआ अंडा सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि यह हल्का और पचने में आसान होता है। ऑमलेट या तले हुए अंडे से बचना चाहिए क्योंकि इनमें तेल और मसाले अधिक होते हैं। अगर रोगी को अंडा खाने में कोई समस्या हो जैसे पेट दर्द, दस्त या गैस, तो अंडा तुरंत बंद कर देना चाहिए। शुरुआत में आधा उबला अंडा या अंडे का सूप दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सुबह या शाम को रोगी को हल्का उबला हुआ अंडा देने से ताक़त मिलती है और शरीर की रिकवरी तेज़ होती है। ध्यान रखें कि कच्चा अंडा बिल्कुल न दें क्योंकि इसमें संक्रमण का ख़तरा होता है।
टाइफाइड में दही खा सकते हैं क्या ?

टाइफाइड में दही खाना बहुत फायदेमंद है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स आंतों को स्वस्थ रखते हैं और पाचन को सुधारते हैं। यह शरीर की गर्मी को भी कम करता है और बुखार में राहत देता है। लेकिन दही हमेशा ताज़ा और बिना मसाले का ही खाना चाहिए। रायता, नमक-मिर्च वाला दही या बाज़ार का पैकेट वाला फ्लेवर दही खाने से बचना चाहिए। दही को सीधे खाने के बजाय खिचड़ी या दलिया के साथ लेना बेहतर है। यदि रोगी को बहुत कमजोरी है तो दही से बना छाछ भी दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, दिन में दोपहर के भोजन में एक कटोरी सादा दही रोगी के लिए उत्तम होता है। यह शरीर को ठंडक भी देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
टाइफाइड में जूस पीना चाहिए या नहीं ?

टाइफाइड में जूस पीना रोगी के लिए बहुत लाभकारी है क्योंकि यह तुरंत ऊर्जा और विटामिन देता है। ताजे फलों का जूस जैसे सेब, अनार, पपीता या अंगूर का जूस अच्छे विकल्प हैं। जूस हमेशा घर पर ताज़ा बनाया हुआ होना चाहिए। पैकेट वाला जूस या बहुत मीठा जूस नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसमें प्रिज़र्वेटिव और शुगर अधिक होती है, जो रोगी के लिए हानिकारक है। खट्टे फलों का जूस (जैसे संतरा, मौसमी) आंतों में जलन पैदा कर सकता है, इसलिए इन्हें टालना चाहिए। यदि रोगी को कमजोरी ज़्यादा है तो जूस में हल्की मात्रा में ग्लूकोज़ या शहद मिलाकर दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सुबह अनार का जूस और शाम को सेब का जूस देने से शरीर को ताक़त मिलती है और रोगी जल्दी स्वस्थ होता है।
टाइफाइड में हल्दी वाला दूध पी सकते हैं क्या ?

टाइफाइड के दौरान हल्दी वाला दूध सीमित मात्रा में लिया जा सकता है, लेकिन हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार। हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। दूध शरीर को प्रोटीन और कैल्शियम देता है, जिससे रोगी की रिकवरी तेज़ होती है। हालांकि, कुछ रोगियों को दूध पचाने में समस्या होती है, ऐसे मामलों में दूध से परहेज़ करना चाहिए। हल्दी वाला दूध रात को सोने से पहले हल्का गुनगुना पीना लाभकारी होता है। इससे नींद भी अच्छी आती है और शरीर को ताक़त भी मिलती है। उदाहरण के लिए, आधा चम्मच हल्दी पाउडर को एक गिलास गुनगुने दूध में डालकर रोगी को दिया जा सकता है। अगर रोगी को दस्त या पेट फूलने की समस्या हो तो दूध से बचना चाहिए।
टाइफाइड में कॉफी और चाय पी सकते हैं क्या ?

टाइफाइड में चाय और कॉफी का सेवन कम से कम करना चाहिए, क्योंकि इनमें कैफीन होता है जो पाचन तंत्र और आंतों पर दबाव डालता है। यह शरीर को डिहाइड्रेट भी कर सकता है। अगर रोगी को आदत हो तो दिन में एक बार हल्की दूध वाली चाय पी सकते हैं, लेकिन बहुत गाढ़ी या मसालेदार चाय से बचना चाहिए। कॉफी टाइफाइड रोगियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह अम्लीय होती है और पेट की जलन या एसिडिटी बढ़ा सकती है। बेहतर होगा कि चाय या कॉफी की जगह हर्बल चाय, गुनगुना पानी, नारियल पानी या नींबू-पानी (बिना नमक और मसाले का) लिया जाए। उदाहरण के लिए, रोगी को सुबह ग्रीन टी या तुलसी-अदरक की हल्की हर्बल चाय दी जा सकती है। इससे रोगी को ताज़गी भी मिलेगी और पाचन तंत्र पर भी बोझ नहीं पड़ेगा।
टाइफाइड में कौन से सूप पीने चाहिए ?

टाइफाइड रोगियों के लिए सूप सबसे बेहतर आहार है, क्योंकि यह हल्का, पचने में आसान और पौष्टिक होता है। सब्ज़ियों का साफ सूप (जैसे गाजर, लौकी, तोरी, पालक) रोगी को विटामिन और मिनरल देता है। दाल का पानी या पतली दाल का सूप प्रोटीन और ऊर्जा प्रदान करता है। अगर रोगी को नॉन-वेज लेने की अनुमति है तो चिकन क्लियर सूप भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन उसमें मसाले और तेल नहीं होना चाहिए। क्रीम, मक्खन या ज्यादा नमक वाला सूप टालना चाहिए। उदाहरण के लिए, गाजर और लौकी को उबालकर उसमें हल्का नमक डालकर रोगी को दिया जा सकता है। दिन में एक या दो बार सूप देना रोगी की ताक़त बढ़ाता है और कमजोरी दूर करने में मदद करता है। सूप से शरीर को हाइड्रेशन भी मिलता है और रिकवरी तेज़ होती है।
टाइफाइड में बुखार उतरने के बाद क्या खाना चाहिए ?

जब टाइफाइड का बुखार उतर जाए तो भी रोगी को तुरंत सामान्य खाना नहीं देना चाहिए। धीरे-धीरे हल्के आहार से शुरुआत करनी चाहिए। शुरुआत में खिचड़ी, दलिया, सूप, दही और उबली हुई सब्ज़ियाँ दी जाएँ। इसके बाद धीरे-धीरे मुलायम रोटी और हल्की दाल शामिल की जा सकती है। बुखार उतरने के बाद शरीर बहुत कमजोर रहता है, इसलिए पौष्टिक और प्रोटीन युक्त भोजन देना ज़रूरी है। केला, पपीता, सेब जैसे फल इस समय अच्छे विकल्प हैं। तैलीय और मसालेदार खाना अभी भी टालना चाहिए। उदाहरण के लिए, पहले सप्ताह खिचड़ी और सूप पर ज़ोर दें, दूसरे सप्ताह नरम रोटी-दाल और तीसरे सप्ताह सामान्य आहार शुरू करें। इस तरह धीरे-धीरे डाइट बदलने से पाचन बिगड़ता नहीं और रोगी तेजी से स्वस्थ होता है।
टाइफाइड में क्या गर्म मसाले खाने चाहिए ?

टाइफाइड के दौरान गर्म मसालों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। लाल मिर्च, गरम मसाला, काली मिर्च, अदरक, लहसुन आदि आंतों में जलन पैदा कर सकते हैं और पाचन को और खराब कर सकते हैं। इस समय आंतें पहले से ही कमजोर होती हैं और मसालेदार खाना गैस, दस्त और पेट दर्द बढ़ा सकता है। टाइफाइड रोगी के लिए हल्का और उबला हुआ भोजन ही सबसे सही होता है। यदि हल्की स्वाद के लिए कुछ डालना ही हो तो जीरा या हल्दी की थोड़ी मात्रा प्रयोग की जा सकती है, क्योंकि ये पाचन में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, खिचड़ी या सब्ज़ी में हल्का सा जीरा डालकर रोगी को दिया जा सकता है। लेकिन किसी भी तरह का तीखा मसाला या तड़का टालना चाहिए। मसालों से दूरी बनाकर ही रोगी जल्दी स्वस्थ हो सकता है।
टाइफाइड में आइसक्रीम खा सकते हैं क्या ?

टाइफाइड के दौरान आइसक्रीम खाना उचित नहीं है। ठंडी चीज़ें आंतों और गले पर नकारात्मक असर डालती हैं। आइसक्रीम में ठंडक के साथ-साथ वसा और चीनी भी अधिक होती है, जिससे पाचन बिगड़ सकता है और बुखार बढ़ने का ख़तरा रहता है। टाइफाइड में रोगी का शरीर संक्रमण से लड़ रहा होता है, ऐसे में ठंडी और मीठी चीज़ें बैक्टीरिया की वृद्धि को और तेज़ कर सकती हैं। यदि रोगी को मीठा खाने की इच्छा हो तो ताजे फलों का रस, पपीता, केला या घर पर बना हल्का मीठा दलिया दिया जा सकता है। आइसक्रीम की जगह ठंडे प्रभाव के लिए नारियल पानी या ताज़ा फलों का जूस बेहतर विकल्प है। उदाहरण के लिए, यदि रोगी को गले में सूजन या दर्द हो, तो आइसक्रीम की बजाय गुनगुना पानी और सूप ज्यादा लाभकारी है।
टाइफाइड में जंक फूड खाना सही है या नहीं ?

टाइफाइड में जंक फूड बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। बर्गर, पिज़्ज़ा, चाउमीन, समोसा, पकोड़ी जैसी चीज़ें तेल और मसालों से भरपूर होती हैं और पचने में कठिन होती हैं। ये आंतों पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं और संक्रमण को बढ़ा सकती हैं। टाइफाइड में रोगी का पाचन तंत्र पहले से कमजोर होता है, ऐसे में जंक फूड गैस, एसिडिटी और दस्त जैसी समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा जंक फूड में पोषण बहुत कम और कैलोरी बहुत ज्यादा होती है, जिससे शरीर को रिकवरी के लिए ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स नहीं मिल पाते। उदाहरण के लिए, अगर रोगी खिचड़ी और सूप छोड़कर पिज़्ज़ा खा ले तो उसे तुरंत पेट दर्द और दस्त की शिकायत हो सकती है। इसलिए टाइफाइड के दौरान हमेशा उबला हुआ, हल्का और घर का बना भोजन ही सबसे अच्छा होता है।
टाइफाइड में नमकीन चीज़ें खा सकते हैं क्या ?

टाइफाइड के दौरान बहुत अधिक नमक या नमकीन चीज़ें (जैसे भुजिया, पापड़, अचार, चिप्स) नहीं खानी चाहिए। इनमें सोडियम और तेल की मात्रा ज़्यादा होती है, जो शरीर को डिहाइड्रेट कर सकती है और पाचन बिगाड़ सकती है। हल्की मात्रा में नमक भोजन के स्वाद और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के लिए ज़रूरी है, लेकिन नमकीन स्नैक्स या तली-भुनी नमकीन चीज़ें बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए। अगर रोगी को नमक की ज़रूरत हो तो डॉक्टर की सलाह से इलेक्ट्रोलाइट्स का घोल या नमक-शक्कर का घोल दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, रोगी को खिचड़ी या सूप में हल्का नमक डालकर देना सुरक्षित है। वहीं अचार या पैक्ड नमकीन खाने से उल्टा नुकसान हो सकता है। इसलिए टाइफाइड के दौरान नियंत्रित मात्रा में ही नमक लें और पैक्ड या प्रोसेस्ड नमकीन चीज़ों से दूरी बनाएं।